परिचय :-
"मन की वास्तविक लालसा स्थिरता है। यह सीमा से खुश नहीं होता। यह ख़ुशी की अस्थायी अवस्थाओं से संतुष्ट नहीं होता। यह अनंतता की तलाश करता है। यह उस इच्छा को पूरा करने की कोशिश करता है, जो पूरी होने पर, सभी इच्छाओं के अंत का प्रतीक है। संक्षेप में, मन न केवल ध्यान चाहता है, बल्कि ध्यान में अनंतता चाहता है। यही सच्चा गहरा ध्यान है।"
ध्यान मन को स्थिर रखता है और तनाव को दूर रखता है। आज जब कई लोग तनाव और नयी जीवन शैली के दोषों से ग्रसित हैं , कमलेश डी पटेल और जोशुआ पोलोक द्वारा लिखी गयी पुस्तक 'दा हार्टफुलनेस वे' जीवन को ध्यान द्वारा तनाव मुक्त बनाने एवं ईश्वर से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त करती है।
दा हार्टफुल्नेस वे, ध्यान के ऊपर लिखी गयी उत्कृष्ट रचनाओं में से है। ध्यान के विषय पर पौराणिक पुस्तकों के लिखे जाने के बाद से लोगों के विचार और उद्देश्य काफी बदल गए हैं | यह पुस्तक ध्यान और इसके लाभों के लिए आधुनिक अंतर्दृष्टि प्रदान करने के अपने उद्देश्य को पूरा करती है | पाठक के मन की असीमता उसे वो सारे उत्तर प्रदान करती है, जिसका वो इच्छुक है |
गीता की तरह, शिक्षक और शिष्य के बीच का संवादात्मक संवाद इस पुस्तक को बहुत रोचक बनता है | दाजी के साथ एक बातचीत के माध्यम से लेखक ने यह पुस्तक लिखी, जिसमे अपने आपको दुःख के पार करने के लिए आशा और संतोष रखने की युक्तियों पर चर्चा की गयी है |
विवरण :-
पुस्तक को तीन भागों में बाँटा गया है - हार्टफुलनेस क्यों, हार्टफुलनेस का अभ्यास और गुरु की महत्ता। इसमें छः अध्याय समाहित हैं | ध्यान का उद्देश्य, ध्यान को समझना, ध्यान की प्रक्रिया, सफाई, प्रार्थना करना और गुरु का योगदान |
"ध्यान का उद्देश्य सब कुछ बदल देता है | एक गहन उद्देश्य हमें एक गहन चेतना प्रदान करती है | एक सांसारिक उद्देश्य हमें एक सांसारिक चेतना देती है | "
ध्यान क्यों करना चाहिए ? ध्यान से किसकी प्राप्ति होती है ? इन सभी प्रश्नों का उत्तर प्रथम भाग में दिया गया है। सभी के पास ध्यान करने के अलग उद्देश्य होते हैं | यही उद्देश्य हैं, जो आतंरिक शांति के विभिन्न स्तर प्रदान करते हैं | दाजी ने अनुसार ध्यान मन को एक विचार पे प्रयासहीन तरीके से केंद्रित करना है। ध्यान का उद्देश्य सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा पूरा अनुभव हमारे उद्देश्य से जुड़ा होता है। ध्यान करते करते ध्यान के उद्देश्यों में भी बदलाव आता है और आखिर में ईश्वर ही लक्ष्य बन जाता है। दिव्यता गुरु से शिष्यों में पहुंचाने के लिए यौगिक प्राणाहुति, जिसको की हार्टफुलनेस विधि का हॉलमार्क कहा जा सकता है, के प्रयोग पर भी प्रकाश डाला गया है। दिव्यता को अनुभव करने के बाद सब धर्मों का सार एक जैसा ही प्रतीत होता है। दाजी पढ़े हुए ज्ञान का उपयोग करने पर जोर देते हैं। उनके अनुसार दिव्यता को समझने के लिए उसका अनुभव आवश्यक है। ध्यान शुरू करने का कारण जो भी हो, अंततः यह आत्मा की शुद्धि का कारण बन जाता है |
ध्यान कैसे करें? ध्यान कब और कहाँ करें? ध्यान की सही मुद्रा क्या है? ध्यान करने की सही विधि को जानना अति आवश्यक है। दूसरा भाग इसी विषय के लिए है। दाजी के अनुसार, सबकुछ पाठक पर निर्भर करता है | ध्यान एक अभ्यास के रूप में शुरू होता है, और बाद में मानसिक स्तिथि बन जाता है | उत्तर खोजने की विधि है, सबकुछ आज़माना | ध्यान करने का कोई सही समय नहीं होता, न ही कोई सही आसान या स्थान होता है | सभी के लिए उत्तर अलग होते हैं | यह पुस्तक हर पहलू का वैज्ञानिक आधार बताती है और पाठक को उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनने देती है |
इस खंड में योग पर विस्तृत चर्चा और मानव शरीर एवं मन पर योग के लाभों को भी शामिल किया गया है | लेखक ने ध्यान करते समय आने वाली आधुनिक काल की बाधाएं और उनके उपचारों पर भी चर्चा की है | दाजी मन की शुद्धता पर जोर देते है। मन की शुद्धता और प्रार्थना से अहम् घटता है और हम स्वयं को ईश्वर के समीप पाते हैं।
पुस्तक में सफाई के विषय पर काफी जोर दिया गया है | यह आत्मा की सफाई को संदर्भित करता है | आधुनिक समय में, लोगों के आसपास नकारात्मकता बहुत बढ़ गयी है और खुद को बुरी चीजों से अछूता रखना बहुत कठिन हो जाता है | यह अध्याय इन नकारात्मकताओं की सफाई और उन्हें हटाने पर केंद्रित है | विषाक्तता हटाने से एक व्यक्ति का ह्रदय साफ़ हो जाता है |
जिस प्रकार शारीरिक व्यायाम और स्नान से शारीरिक प्रतिरक्षा बेहतर होती है, उसी प्रकार ध्यान और सफाई से मानसिक प्रतिरक्षा के बेहतर होने के विषय में बताया गया है | दाजी के अनुसार, ध्यान के माध्यम से सफाई को दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है और सफाई के पश्चात ही ध्यान प्रभावी हो सकता है | इसलिए इन दो अवधारणाओं का आपस में गहरा सम्बन्ध है |
"गुरु उन्नति के दाता नहीं हैं, बल्कि वो इसके उत्प्रेरक हैं | हमारा काम उनकी ऊर्जाओं को आकर्षित करता है | जब आप रास्ते पर एक भी कदम उठाते हैं, तो वो आपको एक कदम आगे ले जाते हैं | "
कई धर्मों में गुरु को ईश्वर तक पहुंचने का ज़रिया बताया गया है। तीसरे भाग में गुरु की भूमिका की चर्चा की गयी है। दाजी के अनुसार शिक्षा देना गुरु का सबसे तुच्छ कार्य है। गुरु को कुछ नहीं करना होता, केवल उसकी उपस्थिति ही काफी होती है।
"जैसे सूर्य की किरण पड़ने पर पुष्प खिल उठता है, लेकिन उस फूल के खिलने में सूर्य को कुछ नहीं करना पड़ता "
सार :-
यह पुस्तक हर किसी के लिए है | ऐसे व्यक्ति, जो तनावपूर्ण जीवनशैली से छुटकारा पाने के लिए ध्यान शुरू करने के इच्छुक हैं, या जो वर्षों से ध्यान का अभ्यास कर रहें हैं, परन्तु ध्यान का और गहन अनुभव करना चाहते हैं, यह पुस्तक उनके लिए भी है | यह ऐसे पाठकों के लिए भी है, जो योग की प्रभावशीलता को वैज्ञानिक मानसिकता के साथ अनुभव करना चाहते हैं |
ध्यान की विधि जानने और इसके महत्व को समझने में यह पुस्तक सराहनीय है किंतु कुछ जगहों पर यह वास्तविकता से परे लगने लगती है, गुरु के द्वारा शिष्य को चुनना और उसे पहले से तैयार करना, दाजी का अपने गुरु को सपने में देखना, तर्क की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता है। यहाँ पर थोड़ी काल्पनिकता प्रतीत होती है। परन्तु इन्हें कहानियों का दृष्टिकोण देने से, यह पुस्तक को रोचक और सरल बनाती हैं |
दा हार्टफुलनेस वे में बार बार पढ़े हुए ज्ञान का उपयोग करने को कहा गया है। जो कुछ भी जानकारी दी गयी है उसे बिना प्रयोग के अनुभव नहीं किया जा सकता, ऐसा कहा गया है। प्रयोग पे यूँ ज़ोर देना इस किताब को अलग बनाता है। इस पुस्तक के लिए पाठकों को आध्यात्मिक आस्तिक होने की आवश्यकता नहीं है | इस कारण से पाठक इस पुस्तक को स्वयं से जोड़ पाते हैं, और पुस्तक उन्हें बाँधने में सफल हो जाती है |