जुदा जो तुझसे हुआ करेंगे, न जाने कैसे जिया करेंगे ,
हरेक शब को थमेगी धड़कन हरेक शब को मरा करेंगे ।
खुदा की रंगत मिटा के सबको जो एक रंग में रंगा करेंगे ,
मिटा के सबका वजूद आखिर ये लोग किसका भला करेंगे ।
न जाने कैसी महक पिरोके उन्होंने हमको ये खत लिखा है ,
"हवा में खुशबू घुला करेगी कि मेरे खत जब जला करेंगे"।
भुला भी देंगे मिटा भी देंगे बुतों को सारे गिरा भी देंगे ,
गवाँ के अपने खुदा को लेकिन जमाने में क्या नशा करेंगे ।
तुम्हारी यादों में आँख से जो ये आज आँसू छलक पड़े हैं ,
कि बाद मेरे जमाने वाले इसी को दरिया कहा करेंगे ।
ये आफताबों ने ही हमारी नज़र को अँधा किया हुआ है ,
ढलेगा दिन तो सवेरा होगा, जो कहकशाँ सब दिखा करेंगे ।
शमा तो परवाने को जलाए, उसी पे तो उसका सारा हक़ है ,
करेंगे हमसे मोहब्बतें जो उन्हीं को तो हम खफा करेंगें ।
तुझी को दिल में सजा चुके हैं, तुझी को दुनिया बना चुके हैं ,
तेरे खयालों में खो चलेंगे कभी जो ग़ज़लें सुना करेंगे ।
अँधेरे से जो डरा करें हैं, उजाले से सब घिरे हुए हैं ,
अँधेरे में गर चले गए तो अँधेरे की ही दुआ करेंगे ।
हवा चले जो तो आग से फिर, बना ही लेना फासले तुम ,
बदन फजा में लगेगा जलने शरारे तब जो उड़ा करेंगे ।
कोई सहर से तो कोई शब से, यहाँ पे सब ही डरा करें हैं ,
कहेगा उसको जमाना बुजदिल जो आइनों से डरा करेंगे ।
तू वो है जिसकी मुराद रखकर के शायरों ने ग़ज़ल बुनी है ,
तुझे चुना है रदीफ हमने, ग़ज़ल सुबह-शब कहा करेंगे ।
जिधर किसी से मिलें दुआएँ, खुदा जमाने कहेंगे उसको ,
उसी को मशरिक कहेगी दुनिया जहाँ से सूरज उगा करेंगे ।
ढलेगा दिन तो ढलेगा सूरज, शफक समा में नहीं रहेगी ,
हमीं किये हैं जहाँ को रौशन, ये चाँद जुगनू लड़ा करेंगे ।
गुलों की बातें कहे है खुशबू, हमारी बाते ग़ज़ल कहे है ,
कि 'नफ़्स' आँखों के अश्क़ पीकर, दीवाने ग़ज़लें लिखा करेंगे ।