अंतिम विदा!
अंतिम विदा अक्सर ही बिना बताए आती है,
एक अनचाहे अतिथि की तरह...
लोग देख नहीं पाते इसे आते हुए,
लोग समझ भी नहीं पाते जब ये आती है...
जब ये आ के चली जाती है,
तब और भी अतिथि आते हैं...
दुःख, दर्द, पछतावा, ग्लानि।
और ये कई बार,
लंबे समय के लिए आपके साथ रहते हैं।
काश कि ये बता के आती!
तो आने वाले ये अतिथि,
क्या पता न आते।
क्योंकि तब आप पहले ही कर लेते
वो बातें, जो आप नहीं कर पाए,
आप बना पाते वो यादें,
जो आप नहीं बना पाए,
या फिर...
आप नहीं करते वो बातें,
जो नहीं करनी चाहिए थीं...