"जिस व्यक्ति के पास अंतश्चेतना है वह अपने पाप को स्वीकार करते हुए कष्ट उठाता है। यही उसकी सजा है-- साथ ही साथ कारावास भी।"
फ़्योदोर दोस्तोयेव्स्की द्वारा लिखी गयी 'क्राइम एण्ड पनिशमेंट' साहित्य के सबसे रोचक एवं मशहूर कार्यों के बीच अपना स्थान पाती है। इस पुस्तक को 'द गार्डियन' द्वारा अब तक की शीर्ष 100 किताबों की सूची में स्थान दिया गया है, कई शीर्ष लेखक एवं मनोवैज्ञानिक इसे अपनी पसंदीदा पुस्तक मानते हैं। दोस्तोयेव्स्की को ज़ार के खिलाफ गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। फांसी के दिन उन्हें माफ कर साइबेरिया के गुलाग में भेज दिया गया था। इन अनुभवों का दोस्तोयेव्स्की के लेखन में गहरा असर दिखता है और शायद इस कारण मानव के मानसिक द्वंदों पर दोस्तोयेव्स्की की टिप्पणियाँ अद्वितीय हैं।
यह उपन्यास अपराध के उपरांत प्रस्तुत होने वाले मानसिक और नैतिक परिस्थितियों, एवं पीड़ा के माध्यम से प्रायश्चित्त की समीक्षा करता है। हत्यारे एवं हत्या के पीछे की प्रेरणाओं की जानकारी होने के बावजूद भी दोस्तोयेव्स्की की आंकलन शैली, रोचक किरदार एवं दार्शनिक संघर्ष, पाठकों की दिलचस्पी कहानी में बनाए रखते हैं। हम एक हत्यारे के दिमाग में प्रवेश करते हैं और उसके डर को महसूस करना शुरू कर देते हैं, उसकी आशाओं की किरणों के बारे में उत्साहित हो जाते हैं, भले ही साथ ही साथ पुलिस उसके चारों ओर अपना जाल कसती रहती हो।
दोस्तोयेव्स्की अपने मनोवैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग कर पात्रों को यथासंभव वास्तविक रूप से चित्रित करते हैं। कहानी का मुख्य किरदार रस्कोलनिकोव काफ़ी जटिल किरदार है। उसके सपनों के माध्यम से पाठक उसके भीतर के संघर्ष को समझ सकते हैं, उसका तार्किक पक्ष उसके अन्तश्चेतना के खिलाफ है। रस्कोलनिकोव एक करुणामय व्यक्ति होने और उपयोगितावाद के प्रति अपने वैचारिक झुकाव के बीच संघर्ष करता है।
"असाधारण व्यक्ति के पास अधिकार है... साधारण नियमों को लांघने के निर्णय लेने का आंतरिक अधिकार और केवल तभी जब यह उसके विचार की व्यावहारिक पूर्ति के लिए आवश्यक हो(कभी-कभी, शायद पूरी मानवता के लाभ के लिए)।"
रस्कोलनिकोव अपनी इस अवधारणा एवं उपयोगितावाद के माध्यम से अपने कृत्यों को उचित ठहराने का प्रयास करता है। सब कुछ तर्क के अधीन करने के प्रयास में रस्कोलनिकोव अपने भावनात्मक पक्ष की उपेक्षा करता है, जिसके फलस्वरूप उसे पीड़ा होती है और वह विरोधाभासी व्यवहार प्रदर्शित करता है। रस्कोलनिकोव का अभिमान, अहंकार, मूल मानवता और अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल होने की गहरी भावना सूक्ष्म रूप से पाठकों के सामने प्रस्तुत की गयी है। कहानी के अन्य किरदार भी किसी न किसी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं। जहाँ सोनया रस्कोलनिकोव के अच्छाई की पूरी क्षमता का प्रतिनिधित्व करती है, वहीं स्विद्रिगाइलोव रस्कोलनिकोव के पूर्ण कट्टरपंथी बौद्धिक विकास का प्रतिनिधि है।
दोस्तोयेव्स्की रूसी समाज पर शून्यतावाद जैसी कट्टरपंथी विचारधारा के संभवतः खतरनाक प्रभाव को भी दिखाने की कोशिश करते हैं।
"आदमी को पाप नहीं पश्चाताप मारता है।"
उपन्यास में लेखक का कहना है कि पाप से मुक्ति के लिए पहले पीड़ा, पछतावा एवं स्वीकृति से गुजरना होता है। उपन्यास में पीड़ा पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है। दोस्तोयेव्स्की ने पीड़ा और मुक्ति के बीच के संबंध के विषय पर भी लिखा है और यह सुझाव दिया है कि पीड़ा के माध्यम से ही कोई अपने कर्मों की गंभीरता को समझ सकता है और सुधार करने का प्रयास कर सकता है।
किरदारों के साथ-साथ दोस्तोयेव्स्की ने 1860 के दशक के पीटर्सबर्ग शहर का बहुत हद तक वास्तविक विवरण किया है। पुस्तक के आरंभ में रस्कोलनिकोव के कमरे का विवरण उसकी स्थिति और भावनाओं को सटीक रूप से व्यक्त करता है। जब लेखक सड़कों पर गरीबी का वर्णन करता है, तो ऐसा लगता है कि हम भी उसे देख रहे हों, जैसे हम भी रस्कोलनिकोव के साथ हेयमार्केट घूम रहे हों।
'क्राइम एंड पनिशमेंट' हर साहित्य प्रेमी को पढ़नी चाहिए। मानव प्रकृति को जिस तरीके से दोस्तोयेव्स्की ने इस पुस्तक में परोसा है वह व्यक्ति को सोचने पर मजबूर कर देता है। किताब को पढ़ते वक्त पाठक खुद काफ़ी सारी नैतिक दुविधाओं का सामना करता है, अपनी विचारधारा पर सवाल खड़े करता है और शायद दुनिया को अलग नज़र से देखता है।
"बुद्धि सबसे ज़्यादा मायने नहीं रखती, मायने रखते हैं वो जो बुद्धि का मार्गदर्शन करते हैं - चरित्र, हृदय, उदार गुण और प्रगतिशील विचार।"