परिचय
किसी युग में किसी भी भाषा में एक-दो लेखक ही ऐसे होते हैं जिनकी रचनाएँ साहित्य और समाज में घटना की तरह प्रकट होती हैं और अपनी भावात्मक ऊर्जा और कलात्मक उत्तेजना के लिए एक प्रबुद्ध पाठक वर्ग को लगातार आश्वस्त करती हैं।
कृष्णा सोबती उनमें से एक है, जो अपनी संयमित अभिव्यक्ति और सुथरी रचनात्मकता के लिए जानी जाती हैं। कम लिखने को वे अपना परिचय मानती हैं, जिसे स्पष्ट इस तरह किया जा सकता है कि उनका ‘कम लिखना ’ दरअसल ‘विशिष्ट’ लिखना है।
अपनी रचनाओं से उन्होंने लोगों को निज के प्रति सचेत और समाज के प्रति जागृत किया है।
कथानक यह कहानी एक मध्यम वर्गीय संयुक्त परिवार की कहानी है। इस कहानी की मुख्य विशेषता यह है कि इसमें बहुत सारे पात्र हैं और हर किरदार पाठक के मस्तिष्क पर अपनी अलग छाप छोड़ता है। परिवार के मुखिया गुरुदास और उसकी अर्धांगिनी धनवंती वृद्धावस्था में अक्सर अपने जवानी के पुराने दिनों को याद कर खुश होते हैं क्योंकि अब वह घर में होने वाले रोज-रोज के गृह कलेश से परेशान रहते हैं। घर का बड़ा बेटा बनवारी लाल है और उसकी पत्नी सुहागवन्ती है जो अपने गृहस्थ जीवन के सभी कर्त्तव्यों को पूरी निष्ठा के साथ निभाती है। मँझले बेटे का नाम सरदारी लाल है और उसकी पत्नी समित्रा वन्ती(मित्रो) है,जो कहानी की मुख्य पात्र भी है। सरदारी लाल और मित्रो के आपसी संबंध अच्छे नहीं है दोनों के बीच अक्सर लड़ाईयां होती हैं और सरदारी लाल मित्रो पर हाथ भी उठा देता है। मित्रो का स्वभाव घर में सबसे अलग है उसकी घर में किसी के साथ नहीं बनती और वह सभी लोगों पर अपने तीखे व्यंग्यात्मक बाणों की वर्षा करती रहती है। घर का सबसे छोटा बेटा गुलजारी लाल है और उसकी पत्नी फूलावन्ती है, फूलावन्ती थोड़े लालची और स्वार्थी स्वभाव की औरत है और गुलजारी लाल अपनी पत्नी के दोषों को ना देखते हुए हर बार उसकी बातों को मानता है।
कहानी का मुख्य केंद्र मित्रो की मानसिकता के इर्द-गिर्द ही घूमता है, मित्रो के स्वभाव को कोई समझ नहीं पाता है कभी वह झगड़ा करती है, कभी मसखरी करती है तो कभी परिवार के लिए अपने गहन त्याग कर देती है। कहानी के किरदारों ने सभी मानवीय भावनाओं जैसे क्रोध, प्रेम, त्याग, इर्ष्या, लालच, डर, खुशी का अच्छे से वर्णन किया है।
कहानी में बीच-बीच में अन्य कई सहायक किरदारों का आगमन होता है और यह किरदार कहानी को और भी रोचक बना देते हैं इनमें से कुछ को देखकर आपके मन में संतोष की अनुभूति होगी तो कुछ को देखकर आपके मन में कई गहन प्रश्न खड़े होंगे कि इस पात्र ने ऐसा क्यों किया? लेकिन कुछ क्षण पश्चात ही आपको सभी प्रश्नों का उत्तर मिल जाएगा क्योंकि यह कहानी हमारे समाज का ही प्रतिबिम्ब है। कहानी अंत में एक रोचक मोड़ लेती है और पाठकों को आश्चर्य में डाल देती है और यह अनुभूति आप कहानी पढ़ने के बाद ही महसूस कर सकते हैं।
कहानी पाठक को हर समय अपने साथ बांधे रखती है क्योंकि कहानी के पात्रों का चित्रण इतनी जीवंतता एवं यथार्थता के साथ किया है कि ये पात्र हमें अपनी जिंदगी से जुड़े मालूम होते हैं। लेखिका ने इस कहानी के माध्यम से एक महिला के चरित्र के अलग-अलग पहलुओं का बहुत ही सुन्दर वर्णन किया है और साथ ही यह भी बताया है कि कैसे हमारे कुछ सही निर्णय हमारे जीवन को पूरी तरह बदल सकते हैं।
निष्कर्ष
यह कहानी में दिखाया गया है कि कैसे एक देहाती परिवार मध्यमवर्ग के जीवन को नाटकीय रूप से रूपांतरित करता है जिसमें सामाजिक समस्याओं, परंपरागत बनावटों और जीवन की चुनौतियों को मुखरित किया है। आम परिवार के जीवन से जुड़े कई पहलुओं को कहानी में बखूबी दिखाया गया है। यहाँ मित्रो एक ऐसा पात्र है जो महिलाओं को अपनी इच्छाओं को पूरा करना, अपने अधिकार के लिए खड़े होना और अपनी जिंदगी को अपने अनुसार जीने का साहस और प्रेरणा प्रदान करती है।
सारांश
कहानी में मित्रो के कई ऐसे स्वरूप दिखते हैं जो एक पारंपरिक परिवार के सांस्कृतिक तंतु को छोड़ते हैं। मित्रो की माँ और सासु माँ के विचार भी बहुत अलग रहते हैं। यह कहानी अपने समय से आगे की पहलुओं को दिखाती है। एक तरफ, जहां इस कहानी में पारंपरिक परिवार के मतभेद और उनके लड़ाईयों एक दूसरे के दिल को आहत करने वाले ताने दर्शाए गए है, वही दूसरी तरफ ऐसे विषय भी दिखाए गए है, जिसपर घर के बड़े लोग बात नहीं करना चाहते हैं।