वादे स्वयं से करके..
खुद ही भुला देता हूँ मैं !
सपने संजोता हूँ बेहतर कल के लिए,
और स्वयं ही बिखेर देता हूं मैं!
परिश्रम करूंगा ये सोचकर समय सारणी बनाता हूँ ,
फिर, कल कल मे टालता जाता हूँ मैं !
कभी कभार फिक्र भविष्य की भी होती है,
लेकिन सब कुछ टालता जाता हूं वर्तमान मे मैं!
कदाचित, कभी उद्देश्य एकाएक नजर आ जाता है,
तो, थोड़ा सा समझदार भी हो जाता हूँ मैं!
फिर कुछ वक़्त गुजरता है,
और वापस "बेफ़िक्र" हो जाता हूँ मैं!
वापस बेफ़िक्र हो जाता हूँ मैं!