हर सुख की तू परछाई और रिश्तों की गहराई
तेरे दिल में है समाई ओ माई
सब जाना तेरा भूले मुझे याद है तेरा आना
पापा के पडते थप्पड़ को फिर अपने हाथ पे खाना
दुनिया के सारे दुखड़ौं की रोते बिलखते मुखड़ो की
तू ही बस एक दवाई ओ माई
संसार से तेरे जाने से घबराया है मन मेरा
तू थी तो सब था मेरा अब तू नहीं है ये अंधेरा
तेरा आना ही गर झूठा भूमंडल से मन रूठा
तेरा आंचल बस सुखदाई माई ओ माई
जब मैं नादानी से खेलूं नादान ही तू बन जाए
मेरी राहों के कांटे चुनकर तू खुद गुलाब सी छाए
तेरे होने को नहीं जाना अब सब कुछ है पहचाना
ममता की तू परछाई ओ माई
खुद भीगे बिस्तर पर सोकर तूने है रात बिताई
तेरी मीठी लोरी को सुनकर मैंने निंदिया है पाई
तू तुलसी की चौपाई ,खुसरो की अमर रूबाई,
तेरी ममता जीवनदाई माई ओ माई