मैं अब इन चीख़ों में कोई अल्फ़ाज़ नहीं भर पाउँगा
मैं इन आवाज़ों को अब कोई ज़ुबान नहीं दे पाउँगा
मेरे तसव्वूर पर अब इक बंदिश डाल दी गयी हैं
कि मेरे ख़याल अब कफ़सबंद हैं
उन्हें उस दीवार को लाँघने से रोक दिया गया है
जिसके परे जा मैंने इन बेपरवाह आँखों से
इक और ज़माने को देखा था
जहाँ किसी का हक़ किसी की गुस्तखियाँ न थी
जहाँ कोई इनकार कोई जंग न था
जहाँ सोने सा तपकर, अंगारों सा दहककर,
आसमान में कोई चेहरा रोज़ न मरता था
वहाँ जहाँ निगाहों और ज़बानों से धोखे न होते थे
जहाँ की हवाओं से साज़िश की बूयें नहीं आती थी
मुझे
मुझे उस दुनिया से वापस घसीट कर
इस दुनिया में ला लिया गया हैं ।।
मुझपे तंज हैं कि मैं ख़यालों का बाशिंदा हो गया हूँ
कि मैं अब उस जन्नत को ज़मीन पे लाना चाहता हूँ
और मैं हैरत हूँ कि यहाँ अनेकों चहरें, इतनी ज़बाने
और ये बेहिसाब निगाहें समझ नहीं पा रहे की वो
इस जहां में भी मुमकिन हैं जो मैं चाहता हूँ।
जिन आँखों ने देखे हैं ज़मानों के चेहरे, अब उनको ये फ़रमान हैं
आप जो मिट गए तो आपको याद किया जाएगा
जो आप फिर भी न मिट सके तो ये ख़याल रख
आपके वजूद के हर अक्स को मिटा दिया जाएगा ।।
जिन्होंने हमें कल शाम शीशमहल दिया था
सहर होते ही उन महलों को तोड़ दिया
उन बिखरे हुए टुकड़ों से आज अब
हमारा जिस्म और जुनून दोनों खुं -ए- ख़ून हो गया है
जिसका मुआवज़ा देखिए अब वो
हम ही से माँगता है
मैं अब घड़ी देखकर आँखें और
बज्म देखकर ज़ुबान खोलता हूँ
जो अब अपनी बेगुनाही से ही हूँ ख़ौफ़ज़दा ,
उस से अब माँगूँ भी तो क्या गुनाह माँगूँ
हम तो फ़क़त कुछ पल जीने तेरे पास आए थे
तूने आज़माया भी नहीं और हम मात खा गए
हुनर को देखा यहाँ, वजीफ़ो की ज़रख़रीद हुई
ख़ूबसूरती की पेशी हुई, बदसूरती छिपाई गई
फ़लक़ ही बर्बाद थी, सितारे टिमटिमाते भी तो कैसे
सिले हुए थे मेरे होंठ हम हक़ीक़त बताते भी तो कैसे
इत्तला हैं कि अब यूँ किया जाएगा
जो चीख़ेंगे पन्ने तो उन्हें राख किया जाएगा
उठे जो बाजु तो उनको उखाड़ दिया जाएगा
साथ चलने वाली हर जिस्मों पे मूरव्वत रहेगी
जो न हुई तो उसे ख़ाक किया जाएगा ।।