भूमिका
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पुराणों के अनुसार,
धरती टिकी हुई है शेष के फन पे,
मैं पुराणों को भी मानता हूँ
और इस बात को भी,
क्यूँकि धरती चलती है भ्रातृप्रेम से,
और शेष ने युग-युग में दिखाया है
भ्रातृप्रेम का अनोखा चित्रण
त्रेता में लक्ष्मण बनके
और द्वापर में बलराम बनके।
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यदि चाहते धरती रहे, जीवन सदा चलता रहे,
समरूपता को शेष की सो आज मनु धरता रहे।
जिसने किया धारण धरा धर धीर स्वयम् स्वभाव में,
समरूपता उनकी सहायक प्रेम प्रादुर्भाव में।।
कहते सभी हैं ग्रंथ और पुराण भी कहते तथा,
है शेष के फन पे धरा मानव जहाँ रहते तथा।
इस बात को जो भी मनुष ना मानते ही सत्य हैं,
उनके लिए इस बात के सम्मुख कई से तथ्य हैं।।
मानो भले ये बात ना इस बात को पर मानते,
जीवन अभी तक उनसे है जो प्रेम करना जानते।
भ्रातृप्रेम चलता रहे धरती चले चिरकाल तक,
है शेष ने इसकी परीक्षा दी यहाँ हर काल तक।।
जो काल त्रेता में बने श्रीराम के भ्राता लखन,
चौदह बरस जिसने किया श्रीराम के सह वन गमन।
सियराम के चरणों सदा ही दृष्टि जिसकी जा रुकी,
ऐसे अनुज के प्रेम से धरती रहे न क्यों टिकी।।
बलराम द्वापर में हुए थे कृष्ण के भ्राता बड़े,
भ्रातृप्रेम का बन उदाहरण वे तब भी थे खड़े।
चाहे धरम उत्थान में फिर पाप को लो हाथ में,
जिस राह पे कृष्णा चले बलराम थे तब साथ में।।
इससे बड़े किसको उदाहरण और कितने चाहिए,
धरती बचानी है अगर तो शेष सम बन जाइए।
जिनके सभी सद्भाव सम सारे सुरों से हैं तथा,
अब मानलो आदर्श उनको ज्ञान की सुनके कथा।।