दो अधूरे ख़्वाब जो मिलते तो अच्छा था।
तुम सनम इक बार जो मिलते तो अच्छा था।।
लिख दिया था रिक्त मन में प्रेम रूपी छंद तुमने।
जन्मों से इस मौन लव पर दे दिया था गीत तुमने।।
इस डगर पर संग जो चलते तो अच्छा था।
तुम सनम इक बार जो मिलते तो अच्छा था।।
अब सनम हारा सा हूँ मैं आ भी जाओ गीत बनकर।
मेरे जीवन में रहो तुम प्रीत का संगीत बनकर।।
हमको अपना आज भी कहते तो अच्छा था।
तुम सनम इक बार जो मिलते तो अच्छा था।।